बचपन से देखा था आर्मी का सपना..आखिरी चिट्ठी लिखा,'मम्मी उदास मत होना अलगे जन्म..' ये एक बेटे की आखिरी चिट्ठी है.. जिसने आज प्रदेश को हिला कर रख दिया है.. जो भी इस चिट्ठी को पढ़ रहा है;आंखों में आंसुओं को रोक नहीं पा रहा है.. जी हां.. ये कहानी अलीगढ़ के लोधा थाना क्षेत्र के जिरौली डोर गांव के रहने वाले दीपू की है.. दीपू ने बचपन से ही सेना में भर्ती होने के सपने देखे थे.. वैसे ही कपड़े लेता था.
बचपन में देखा था सेना का सपना मेरा अधुरा खोबब रह गया अधूरा कहानी ?
मामी तुम उदास मत होना इस जनम में फौजी बनकर दिखाउ गा ममी मेरी फोटो लगाना हमारे सारे मेडल सारे सर्टिफिकेट ट्रॉफी को मेरे फोटो के पास लगाना.|भाई में दोष नहीं बन पाया तुम जरूर बना तुम ममी हमारे पापा का ख्याल रखना में हां जनम नहीं अगले जन्म में फौजी बन कर दिखाउ गा | मुझे फौजी को अपना जिंदगी मन था जब वो मिली नहीं तो ये जिंदगी का क्या कम मेरे बहुत सपने क्या क्या सोचा था मैंने लेकिन मेरी मेहनत का मुझे कोई फल नहीं मिला |में कभी हर नहीं मन हमारी इंसान गलत कम आपकी खुशी से नहीं करता मजबूरी उससे गलत काम करने पर मजबूर कर देती है...
आगे कहा ता है ?
ममी में बहुत दिनों से सोया नहीं पा रहा हूं रात को नहीं आती
मैंने जब से फौजी का टेस्ट दिया था उस दिन से इसी बात का डर था नंबर आए गा या नहीं पापा हमारी मामी तुम कितनी भरोसा लेकर था मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाया लेकिन तुम उदास मत होना इस जन्म में ना सही आगले जनम फौजी बनकर दिखा यू गा | आमन को आचे से रखना प्रियका की साधी आचे से करना मैं ऊपर से सब देखु गा
दोस्त...?
रोहित मुझे माफ़ कर ना मेरे दोस्त जिंदगी भर का शठ निभाने का कसम खा या था लेकिन तुम्हें अकेले छोड़ कर जा रहा हूं दोस्त मेरा छोटा भाई का ध्यान रखना ऑल द बेस्ट मुझे माफ करना आगे जनम में फिर मिले गे