विल्हेल्म कॉनराड रोंटजन(William Conrad Roentgen)
ऐक्स किरणों के उपयोगों
ने आज सारे संसार में तहलका मचा रखा है। इन किरणों का आविष्कार जर्मनी के प्रोफेसर
विल्हेल्म कॉनराड रॉटजन ने सन् 1895 में 50 वर्ष की उम्र में किया था। उस समय तक इन
किरणों के विषय में मनुष्य को कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए इनका नाम ऐक्स अर्थात्
अज्ञात किरणें रखा गया। रॉटजन के काम पर इन ऐक्स किरणों का आविष्कारक
जन्म: 22
मार्च, 1845 लेनेप (जर्मनी)
मृत्यु: 10 फरवरी, 1923 म्यूनिख (जर्मनी)
किरणों को
रोंटजन रेज (Roentgen Rays) भी कहते हैं। इस महत्त्वपूर्ण आविष्कार के लिए सन् 1901
में भौतिकी का प्रथम नोबेल पुरस्कार प्रोफेसर रोंटजन को दिया गया था। इन किरणों के
आविष्कार की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
प्रोफेसर रोंटजन अपनी प्रयोगशाला में एक
विद्युत विसर्जन नलिका अर्थात् कैथोड रे ट्यूब पर कुछ प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने
पर्दे गिराकर प्रयोगशाला में अंधेरा कर रखा था और इस नलिका को काले गत्ते से ढक रखा
था। रोंटजन ने देखा कि नलिका के पास में ही रखे कुछ बैरियम प्लेटीनो साइनाइड के
टुकड़ों से एक प्रकार की प्रकाशीय चमक निकल रही है।
तब उन्होंने चारों ओर देखा तो
पाया कि उनकी मेज से कुछ फुट की दूरी पर एक प्रतिदीप्तिशील पर्दा भी चमक रहा है। यह
देखकर उनकी हैरानी का ठिकाना न रहा क्योंकि नली तो काले गत्ते से ढकी हुई है और
कैथोड किरणों का बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। उन्हें यह विश्वास हो गया कि
निश्चय ही नलिका से कुछ अज्ञात किरणें निकल रही हैं, जो मोटे कागज से भी पार हो
सकती हैं।
चूंकि उस समय इन किरणों के विषय में कुछ ज्ञान न था इसलिए उन्होंने इनका
नाम ऐक्स किरणें रख दिया। ऐक्स शब्द का अर्थ है अज्ञात अपने प्रयोगों के दौरान
उन्हें इन किरणों के कुछ विशेष गुण पता लगे। उन्होंने देखा कि ये किरणें कागज, रबर
तथा धातुओं की पतली चादर के आर-पार निकल जाती हैं।
तब उन्हें एक बहुत ही
महत्त्वपूर्ण किन्तु सरल विचार सूझा। उन्होंने सोचा कि जैसे. साधारण प्रकाश से फोटो
फिल्म प्रभावित हो जाती है, हो सकता है इन रहस्यमयी किरणों का भी फोटो फिल्म पर कुछ
प्रभाव पड़े। इस विचार को प्रयोगात्मक रूप से परखने के लिए उन्होंने एक फोटो प्लेट
ली और उस पर अपनी पत्नी का हाथ रखकर ऐक्स किरणें डाली। जब फोटो फिल्म को डेवलप किया
तो इन दोनों ने देखा कि प्लेट पर हाथ की हड्डियां स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं
और उनके चारों ओर मांस धुंधला सा दिखाई दे रहा है। प्रोफेसर रॉटजन की पत्नी ने
अंगूठी पहन रखी थी ऐक्स किरणों से लिए गए चित्र में यह अंगूठी भी स्पष्ट दिखाई दे
रही थी। यह पहला अवसर था जब किसी जीवित व्यक्ति के ढांचे का चित्र लिया गया था।
निश्चय ही वह महिला इस चित्र को देखकर कम्पायमान हुई होगी। ऐक्स किरणों के
आविष्कारक प्रोफेसर रॉटजन और उनके दो साथियों, जिन्होंने इन किरणों के विकास में
अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, की इनके घातक प्रभाव से बड़ी ही दयनीय मृत्यु
हुई । यद्यपि यह किरणें जीवनदायी हैं लेकिन शरीर पर इनके बड़े घातक प्रभाव होते
हैं।
एक्स किरणों द्वारा निर्मित अपने हाथ की हड्डियों की छवि देखते हुए सेंटजन | |
एक्स किरणों द्वारा निर्मित अपने हाथ की हड्डियों की छवि देखते हुए सेंटजन |
विल्हेल्म रोंटजन का जन्म जर्मनी के लेनेप नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता एक कृषक
थे और मां डच महिला थीं। इनकी आरम्भिक शिक्षा हॉलैण्ड में हुई तथा उच्च शिक्षा
स्विटजरलैण्ड के ज्यूरिख विश्वविद्यालय में हुई यहीं से उन्होंने 24 वर्ष की आयु
में पी. एच. डी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन
कार्य किया। सन 1885 में वे बुर्जबर्ग ( Wurzburg) विश्वविद्यालय में भौतिकी के
प्रोफेसर पद पर नियुक्त किए गए। वहीं उन्होंने ऐक्स किरणों का आविष्कार किया। ऐक्स
किरणों का उपयोग केवल शरीर की हड्डियों को ही चित्रित करने में नहीं किया जाता
बल्कि इनके द्वारा कैंसर जैसे भयानक रोग का इलाज भी किया जाता है।
इन किरणों से
रिगवार्म जैसे त्वचारोगों का भी इलाज किया जाता है। इनके द्वारा शरीर में घुसी
गोली, गुर्दों की पथरी तथा फेफड़ों के विकारों का भी पता लगाया जाता है। इन किरणों
के द्वारा अपराधियों द्वारा शरीर के हिस्से में छिपाई गई हीरा-मोती या सोने जैसी
मूल्यवान वस्तुओं का पता भी लगाया जाता है। इन किरणों से कृत्रिम तथा वास्तविक
हीरों का अन्तर पता लगाया जा सकता है। ऐक्स किरणों द्वारा लोहे की वस्तुओं, रबर के
टायरों आदि के दोषों का भी पता लगाया जाता है। अनुसंधान प्रयोगशालाओं में ऐक्स
किरणों की सहायता से मणिभों की संरचना का पता लगाया जाता है।
कुछ ही वर्ष पूर्व इन
किरणों को प्रयोग में लाकर कैट स्कैनर नामक मशीन विकसित की गई है, जिससे शरीर की
आन्तरिक बीमारियों का पता पल भर में लग जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रॉटजन
द्वारा खोजी गई ऐक्स किरणें हमारे लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई हैं। प्रोफेसर
सेंटजन ने ऐक्स-किरणों के अतिरिक्त और भी कई अनुसंधान किए। वे एक महान भौतिक
शास्त्री थे। उन्होंने घूर्णन करते कुछ विशिष्ट पदार्थों पर चुम्बकीय प्रभावों से
सम्बन्धित प्रयोग किए। मणिभों के साथ उन्होंने कुछ विद्युत सम्बन्धी प्रयोग भी किए।
19वीं सदी के अंत में वे वजेबर्ग से म्यूनिख आ गए और 77 साल की उम्र में इसी शहर
में उनका देहान्त हो गया।