galileo galilei biography in hindi
गैलीलियो और पीसा की झुकी हुई मीनार की कहानी विज्ञान के इतिहास में बहुत ही प्रसिद्ध घटना मानी जाती है। 23 वर्ष की उम्र में गैलीलियो जब पीसा विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक नियुक्त हुए तो उन्हीं दिनों उन्होंने किसी धार्मिक पुस्तक में पढ़ा कि यदि समान ऊंचाई से अलग-अलग भार की दो वस्तुएं एक ही साथ गिराई जाएं तो अधिक |
galileo galilei biography
भार की वस्तु कम भार की वस्तु की तुलना में जमीन पर पहले गिरेगी। वास्तव में यह अरस्तू का कथन था। गैलीलियो को यह कथन कुछ अटपटा लगा। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस कथन को गलत सिद्ध करके दिखाया।
एक परम्परागत कहानी के अनुसार गैलीलियो ने इस कथन को गलत सिद्ध करने के लिए पीसा की झुकी हुई 180 फुट ऊंची मीनार को चुना। सन् 1590 में एक दिन वे जीने से चढ़कर इस मीनार की सातवीं मंजिल के छज्जे पर चढ़ गए। अपने साथ वे धातु से बने दो गोले भी ले गए, जिनमें एक का भार सौ पौंड था और दूसरे का मात्र एक पौंड । गैलीलियो ने छज्जे से झुककर देखा कि उनके इस प्रयोग को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ खड़ी है। इस भीड़ में पीसा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, दार्शनिक और विद्यार्थी भी शामिल थे। उनमें से कुछ ऐसे रूढ़िवादी लोग भी थे, जो हजारों वर्षों से चली आ रही इस मान्यता का खंडन करने की जिद पर अड़े, इस वैज्ञानिक को गालियां तक दे रहे थे।
गैलीलियो ने दोनों गोलों को छज्जे की मुंडेर के बाहरी किनारे पर बड़ी सावधानी से संतुलित किया। भीड़ का उन्माद बढ़ने लगा। फिर उन्होंने दोनों गोलों को एक ही साथ नीचे गिराया। भीड़ में से अधिकांश लोगों का विश्वास था कि गैलीलियो निश्चित रूप से सब के सामने बेवकूफ सिद्ध हो
रहा, जब उनकी आंखों के सामने दोनों ही गोले एक साथ जमीन से आकर टकराए। इस प्रकार वर्षों से चली आ रही एक मान्यता देखते ही देखते गलत सिद्ध हो गई। इस कहानी में कितना सत्य है, इसके विषय में लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं लेकिन यह सत्य है कि गैलीलियो ने गुरुत्वाकर्षण के विषय में इतने वर्ष पूर्व ही बहुत कुछ जान बूझ लिया था और संभवतः इसी आधार पर वे इस तथ्य को सिद्ध कर सके।
चार सौ वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने पर भी गैलीलियो गैलिली की गणना आज भी विश्व के महान वैज्ञानिकों में की जाती है। वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सैकड़ों वर्षों से प्रचलित धार्मिक पुस्तकों में दिए गए कथनों को वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर गलत सिद्ध करके दिखाया हालांकि उनके समय में आधुनिक उपकरण नहीं थे। इटली में जन्मे इस महान वैज्ञानिक की बचपन से ही विज्ञान और प्रकृति जगत में होने वाली घटनाओं के विषय में विशेष दिलचस्पी थी। यही कारण था कि उन्होंने प्रकृति की प्रत्येक प्रक्रिया को वैज्ञानिक नजरिये से देखने की कोशिश की, जिससे आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हुए। जब वे लगभग 17 वर्ष के थे और विद्या अध्ययन कर रहे थे तो एक शाम वे अपनेशहर पीसा के गिरजाघर में प्रार्थना करने गए। तभी गिरजाघर के एक दरबान ने जंजीर से लटके एक लैम्प को जलाया। जैसे ही उसने अपना हाथ हटाया वैसे ही लैंप जंजीर के साथ दाएं-बाएं झूलने लगा। लैम्प को झूलते देख गैलीलियो ने यह महसूस किया कि लैम्प के इधर-उधर डोलने (दोलन) का समय समान ही रहता है चाहे डोलने की दूरी बड़ी हो या छोटी। उन दिनों पड़ी तो भी नहीं, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के छात्र होने के कारण उन्हेंपता था कि मनुष्य की नाड़ी की हर धड़कन में समान समय लगता है। इसलिए अपने प्रेक्षण (Observation) की जांच करने के लिए उन्होंने लैम्प के दोलनों की निश्चित संख्या जानने के लिए अपनी नाड़ी की धड़कनों को गिनने का निश्चय किया। इस परीक्षण में उनकी धारणा सत्य सिद्ध हुई। उन्होंने पाया कि दोलन छोटा हो या बड़ा, सबके लिए
समान समय लगता है। इसी तथ्य के आधार पर उनके दिमाग में एक यंत्र बनाने का विचार पैदा हुआ जिसे आज सरल दोलक (Simple Pendulum) कहते हैं। इसी तथ्य के आधार पर उन्होंने एक यंत्र का आविष्कार किया जिसे 'नाड़ी स्पंदन मापी' (Pulse Meter) कहते हैं। कई वर्षों बाद जब गैलीलियो वृद्ध और अंधे हो चले थे, उनके पुत्र विन्सेंजी ने इसी आधार पर दीवार घड़ियों के मॉडल बनाए। आज भी इसी आविष्कार के आधार पर दीवार की पेंडुलम घड़ियां बनाई जाती है।
कहा जाता है कि न्यायालय में जब गैलीलियो अपनी मान्यताओं से इंकार करने के लिए खड़े हुए तो उनका मन पश्चाताप से भर गया। तब उन्होंने भूमि की ओर देखा और फुसफुसाते हुए कहा कि "पृथ्वी ही सूर्य के चारों ओर घूमती है।” इसके लिए उस बूढ़े वैज्ञानिक को जेल काटनी पड़ी जेल से मुक्त होकर सन् 1637 में गैलीलियो अंधे हो गए और जनवरी, 1642 में उनका देहांत हो गया। वे एक ऐसे वैज्ञानिक थे, जो जीवन भर सत्य की खोज में लगे रहे। आज भी उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। जाएगा। लेकिन उस समय उनके आश्चर्य का ठिकाना न
By:- vikash sharma. PostBy:- storylife.